सोमवार, 8 मार्च 2010

बस आज 'एक दिन'



बस आज 'एक दिन'


अलार्म बजने पर


क्या नहीं उठूंगी सबसे पहले


कोई दे जायेगा सुबह की चाय


क्या मेरे बिस्तर पर


नही बेलनी पड़ेगी आज रोटियां ।


दफ्तर जाते समय


आज, नहीं घूरेगा मेरा पडोसी


नुक्कड़ पर बैठे लडके


नहीं गायेगे वह गाना


'एक बार ...आ जा आ जा '


बस की भीड़ में आज नहीं


लेगा कोई चिकोटी...


ऑफिस में बगल की सीट में


बैठने वाले वर्मा जी


नहीं सुनायेंगे कोई


...नॉनवेचुटकला...


मुझे कमतर न मानते हुए मेरे बॉस


आज देगे मुझे 'योग्यतम' जिम्मेदारी


इसी ख़ुशी के साथ


जब मैं पहुचुगी घर


थोड़ी देर से,


तो पति की निगाहे नहीं करेगी


कोई सवाल...


बस आज एक दिन


'महिला दिवस' पर !!!