साल
की शुरुआत महिलाओं के लिए सौगात लेकर आया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
ने ऑनलाइन पोर्टल नारी http://www.nari.nic.in को लांच कर दिया। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है
कि सूचना या जानकारी के अभाव में सरकारी स्तर पर किसी भी योजना के बनाने से कोई
लाभ जनता तक नहीं पहुंच सकता है। इसलिए जब भी कोई योजना बनाई जाती है, तो उसके प्रचार-प्रसार की भी व्यवस्था की जाती है। इससे लोगों को उन चीजों के बारे में
जानकारी मिलती है और वे सीधे उनका लाभ लेने की स्थिति में आ जाते हैं। अगर इस तरह
की चीजों पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सुधि ले रहा है, तो यह प्रशंसा की बात है। नारी पोर्टल के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को
मूर्तरूप देने में काफी सुविधा होगी, ऐसी आशा व्यक्त की जा
रही है। इसी दिन ई-संवाद नाम से एक वेबसाइट भी शुरू की गई
है। देश में महिलाओं और बच्चों के बीच में कई प्रकार के एनजीओ काम करते हैं। इसलिए
मंत्रालय चाहता है कि इन एनजीओ से संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव हमें मिल सके। ऐसे ही
संवाद को स्थापित करने के लिए ई-संवाद शुरू किया जा रहा है।
ऐसे किसी भी एनजीओ के बारे में महिलाएं जानकारी जुटा कर अपने एलाके में इसका लाभ
भी उठा सकती हैं। फिलहाल
यह पोर्टल अभी अंग्रेजी भाषा में ही है, हिंदी भाषा में अभी यह कोई
जानकारी नहीं दिखा रहा है।
02
जनवरी को महिला के सशक्तिकरण के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास
मंत्री मेनका संजय गांधी ने ऑनलाइन पोर्टल ‘नारी’ का शुभारंभ कर जनता को सौंप दिया। इस पोर्टल के माध्यम से महिलाएं सरकारी
योजनाओं और पहलों की जानकारी आसानी से प्राप्त हो सकेंगी। महिलाओं को अधिकारों, योजनाओं, आर्थिक अवसर, सामाजिक
सहयोग, कानूनी सहायता, आवास आदि उपलब्ध
कराने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों ने विभिन्न योजनाएं लागू की हैं। परंतु
इनके प्रावधानों के प्रति जागरूकता का अभाव है। इन सारी सूचनाओं को एक स्थान पर
सुलभ कराने के उद्देश्य से ‘नारी’ पोर्टल
में महिलाओं के कल्याण के लिए 350 सरकारी योजनाओं से संबंधित
व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। पोर्टल में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों
के लिए महत्वपूर्ण लिंक दिए गए हैं। नारी पोर्टल जानकारी के लिहाज से अपडेट बनाया
गया है। यहां जॉब सर्च की सुविधा भी महिलाओं के लिए उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त
मैटेर्निटी लीव, बीमा और बचत-निवेश के
बारे में जानकारी, बैंक अकाउंट खोलने, बैंक
लोन, पासपोर्ट बनाने आदि की जानकारी पाई जा सकती है।
पोर्टल
के पहले पेज पर महिला सुरक्षा संबंधी भाग में महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा, किसी भी प्रकार की हिंसा
होने पर उसे रिपोर्ट कराने की जानकारी, शादी के बाद होने
वाली परेशानियों में मदद, ऑफिस महिलाओं के साथ होने वाला
किसी भी प्रकार के शोषण के बारे में जानकारी और उसके निदान के लिए आवश्यक सूचनाएं, इसके साथ ही साथ
गर्भावस्था के बारे सूचनाएं काफी महत्वपूर्ण हैं। मंत्रालय ने महिला सुरक्षा के
संबंध में जो मैट्रिमोनियल वेबसाइट्स के लिए जारी दिशा-निर्देश,
एनआरआई शादी के लिए जारी निर्देशों और सुझावों, साथ ही साइबर अपराधों से सुरक्षा के लिए भी जानकारी इस पोर्टल पर विस्तार
से बताया गया है। महिलाओं के बच्चा गोद लेने के संबंध में कई सुधार संबंधी योजना
हैं। इसके मद्देनजर इस पोर्टल में गोद लेने की प्रक्रिया, शर्तें
आदि बातें यहां बताई गईं हैं। स्वास्थ और पोषण से संबंधित विविध जानकारी का भंडार
यहां देने की कोशिश की गई है। पोषण संबंधी टिप्स, जंक फूड
संबंधी गाइडलाइन, मातृत्व संबंधी सुझाव, मेंस्ट्रुअल हाईजींन के बारे में भी काफी जानकारी जुटाई गई है। इसमें एक
भाग फैमिली प्लानिंग का भी है, जो देश की बढ़ती जनसंख्या को
देखते हुए उचित भी है। हमारे यहां महिलाओं की शारीरिक समस्याओं पर तो लोग ध्यान दे
देते हैं पर मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज करते रहते हैं। इसके प्रति जागरुकता के
लिए पोर्टल का एक भाग निर्धारित किया गया है।
इसके
अतिरिक्त राज्य और केंद्र सरकार की सारी योजनाओं के बारे में जानकारी यहां मिल
सकती है। साथ ही साथ पोर्टल में वोटर आईडी,
आधार कार्ड, बैंक अकांउट खोलने, बैंक लोन लेने जैसी महत्वपूर्ण जानकारी भी यहां पाई जा सकती है। कोई भी
महिला एक सिंपल क्लिक के बाद यह जानकारी पा सकती है। इन साधारण सी जानकारी के अभाव
में महिलाओं को काफी कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए अधिकांश महिलाएं इस
तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि कठिन परिस्थितियों में महिलाओं की सहायता के लिए 168
जिलों में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं। या प्रधानमंत्री आवास योजना
के तहत आवासों के पंजीयन में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। तथा कई राज्यों
में लड़कियों की शिक्षा के लिए वित्तीय मदद भी दी जाती है। ऐसी जानकारी यहां विभिन्न
पोर्टल/वेबसाइट पर बिखरी हुई है।
इस
तरह की ढेर सारी जानकारी वास्तव में महिलाओं के पक्ष में है, लेकिन इस पोर्टल को देखते
समय प्रश्न यह भी उठता है कि देश की महिलाओं की अशिक्षा, कम्प्यूटर
की उपलब्धता और तकनीकी ज्ञान का अभाव ऐसे कारक हैं, जिसकी
वजह से इस पोर्टल का लाभ उठाने वालों की संख्या काफी सीमित ही रहेगी। 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षारता दर लगभग 65 फीसदी थी। हमारे यहां अभी भी 35 फीसदी महिलाएं
साक्षार नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि रूरल क्षेत्रों में 100 में से एक लड़की क्लास 12 की पढ़ाई के लिए जा पाती
है। साथ ही लगभग 40 फीसदी लड़कियां कक्षा पांच के बाद स्कूल
छोड़ देती हैं। मोबाईल फोन प्रयोग के बारे में बात की जाए तो चौथे राष्ट्रीय
परिवार-स्वास्थ सर्वे-2015-16 के
अनुसार देश में केवल 46 फीसदी महिलाओं के पास खुद का मोबाईल
फोन है जिसका वे प्रयोग करती हैं। स्टेटिस्टा के हवाले से बताया जाए तो देश में
जहां 71 फीसदी पुरुष इंटरनेट यूज करते हैं वहीं 29 फीसदी महिलाएं ही इंटरनेट प्रयोग करती हैं। इन आंकड़ों में अपनी बात कहे
जाने का एक ही अर्थ हैकि ऐसी स्थिति में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा बनाया
गया नारी पोर्टल कितना महिलाओं का होगा और महिलाएं कितना इस पोर्टल का लाभ उठा
सकेगीं?
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