प्रत्येक शनिवार
हमारा शनिचर उतारने के लिए
मिल जायेगे, हर चौराहे और
रेड लाइट पर
अबोध, बुझे से, गंदे -फटे कपड़े में
बहुत से बचपन।
एक लोटे में
एक लोहे की मूर्ति ,
और थोड़े से कडुवे तेल के साथ
घूमते यह नन्हें
शनिचर हरता !
दीदी, भैया, आंटी कह कर
प्रगट हो जाते है एक देवता की तरह
और मारे डर के, एक -दो रुपये में
इस तत्काल प्रगट शनि से
पीछा छुडाते हम, एक चौराहे से
दुसरे चौराहे चले जाते।
पर हर चौराहे पर डटे
हे नन्हें शनिचर हरता!
तुम्हारा शनिचर कौन हरेगा?
कब हरेगा?
तुम्हारे लिए हर चौराहे
और रेड लाइट पर
कौन खड़ा होगा?
स्वयं शनि देवता
या खुद तुम!
पर कब???
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
रविंदर रेड्डी की कलाकृति माइग्रेंट ऐतिहासिक इमारतें या किले अपने आप में कई कलाओं केंद्र होते हैं। ऐसी जगहों पर मशहू...
-
महिलाओं के दम पर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी ने उस समय तमाम महिला वोटरों का निराश कर दिया, जब नवगठित कैबिनेट में एक भी महिल...
-
रविवार , 10 मार्च को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। उन्होंने अपनी पार्टी बीजू जनता दल से 33 फीसदी टिकट...
-
हाल ही में एक अध्ययन सामने आया है। इसमें बताया गया है कि लिंग भेद मिटाने या कम करने के उद्देश्य से उत्तराधिकार या विरासत संबंधी कानूनों ...
-
वैसे तो हमारी सामाजिक और धार्मिक व्यवस्थाएं यही हैं कि किसी भी स्त्री को एकल जीवन न जीना पड़े। फिर भी कुछ महिलाएं आजीवन अविवाहित रह जा...
-
पांच दशकों से अपने लेखन से पाठकों का दिल जीतने वाली कथाकार-उपन्यासकार-व्यंग्यकार वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यबाला को हाल ही में भारत भारती सम्मान...
-
नेतृत्वकर्ता के रूप में महिलाओं देखा जाना आज भी संदेह के दायरे में ज्यादा आता है , उन्हें शंका की निगाह से देखा जाता है , नापा-तौला जाता है ...
-
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पिछले दिनों आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारणों की वजह से महिला पीड़ित...
-
नो एक शब्द ही नहीं, अपने आप में पूरा वाक्य है योरऑनर। इसे किसी तर्क, स्पष्टीकरण या व्याख्या की जरूरत नहीं है। ‘न’ का मतलब ‘न’ ही होता है...
-
फिल्म ‘ आवर्तन ’ गुरु-शिष्य परंपरा बनी है जिसमें गुरु-शिष्य के बीच कई पीढ़ियों से चले आ रहे संबंधों को लेकर बनाया गया है। फिल्म की कहानी और न...