‘मलयालम फिल्म
इंडस्ट्री में एक आम धारणा है कि महिलाएं सिनेमा में पैसे बनाने आती हैं, इसलिये वे किसी भी मांग के लिये सहमत हो जायेगी।
सिनेमा में काम करने वाले आदमी इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि अभिनय के
प्रति जुनून के चलते वे यहां आती हैं। लेकिन यहां आदमियों को गलतफमी है कि वे
पैसों और मशहूर होने के लिये आती हैं और फिल्म में एक मौका पाने के लिये वे किसी
भी आदमी के साथ सो जायेगी।’
‘कुछ ऐसी घटनाएं
सुनकर दुख हुआ जिसमें बताया गया कि इस सिनेमा जगत के बहुत ऊंचे पदों पर बैठे लोग
शामिल थे। ये वे लोग हैं जिन्हें समाज बहुत सम्मान और आदर से देखता है। जैसे-जैसे
हम आगे बढ़े कई प्रतिष्ठित हस्तियां ढहने लगीं। ये वे लोग हैं जिनके पास मलयालम
सिनेमा की दिशा बदलने की शक्ति है। दुर्भाग्य से ये वे लोग हैं, जो इस पेशे के पतन में योगदान दे रहे हैं।’
‘अध्ययन के दौरान
हमें पता चला कि कुछ पुरुषों को भी इस इंडस्ट्री ने परेशान किया हुआ है। इनमें से
कुछ तो बहुत ही प्रमुख कलाकार हैं। इन लोगों को बिना अनुमति के सिनेमा में काम
करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था... उन्होंने जाने अनजाने में पावरफुल लाॅबी के
किसी न किसी व्यक्ति के क्रोध को आमंत्रित किया होगा।’
बहुत साल नहीं गुजरे हैं जब हिन्दी फिल्मों की जानी-मानी
अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने जाने-माने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न के आरोप
लगाकर देश में ‘मीटू मुहिम’ की शुरूआत कर दी थी। इसके बाद तो समाज के हर
क्षेत्रों से ऐसी ही खबरें आने लगी। महिलाओं ने आगे बढ़कर अपने साथ हुयी ज्यादतियों
पर बयान दिये। इसके साथ ऐसी शर्मनाक ज्यादतियों का एक पुलिंदा ही खुल गया। एक के
चुप्पी तोड़ने से सभी को चुप्पी तोड़ने का साहस मिल गया। ऐसा ही कुछ इस समय ‘प्रोग्रेसिव सिनेमा’ के नाम से पहचाना जाने वाला मलयालम फिल्म
इंडस्ट्री में भी घटित हो रहा है। 19 अगस्त को जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट आने के बाद से मलयालम
सिनेमा वह स्याह पक्ष सामने आया है, जो शायद न होता तो अच्छा होता।
दरअसल मलयालयम सिनेमा में महिलाओं की स्थिति को लेकर जस्टिस
हेमा कमेटी रिपोर्ट केरल सरकार को 2019 में ही सौंप दी गई थी। इसको देखने के बाद मलयालम फिल्म
इंडस्ट्री का जो सच सामने आ रहा था, उससे हंगामा मचने के डर से पिनरई विजयन सरकार इसको
सार्वजनिक करने से आनाकानी कर रही थी। इस रिपोर्ट के कारण राज्य में तूफान न आ
जाये, इसके लिये राज्य सरकार ने कुछ नियमों का सहारा
लेकर दो साल तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। महिलाओं के लिये काम कर रहे
संगठनों जब इसकी मांग की, तब सरकार ने अपने
बयान में कहा कि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से कई लोगों की निजता खतरे में पड़
जायेगी। पर सरकार ने जनवरी 2022 में एक पैनल बनाया
जिसके जरिये फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों की बेहतरी के लिये कुछ सुझाव
दिये। इस रिपोर्ट के दर्पण में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों के लिये
कांट्रैक्ट को अनिवार्य करना, शूटिंग की जगहों पर
नशा करने आदि पर रोक, और साथ ही महिलाओं
के लिये कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल तैयार करने के उपाय शामिलकिये गये थे।
क्यों बनी जस्टिस हेमा कमेटी
17 फरवरी, 2017 को मलयालम सिनेमा
की जानी मानी अभिनेत्री का चलती कार में अपहरण और गैंगरेप किया गया। इस रेप में
पांच लोग शामिल थे, जिसकी भूमिका
प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप ने अभिनेत्री से बदला लेने के लिये रची थी। अभिनेत्री की
रिपोर्ट के बाद यह शर्मनाक घटना सामने आई। इसके सार्वजनिक होते ही लोग और
इंडस्ट्री के लोग आंदोलित हो गये। लोगों के बढ़ते आंदोलन से पुलिस ने कुछ लोगों को
गिरफ्तार करना पड़ा। लेकिन अभिनेता दिलीप की गिरफ्तारी 03 अक्टूबर, 2017 हो सकी। अभिनेता दिलीप मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन के
कोषाध्यक्ष थे, जो केरल में प्रभाव
रखने वाली एक शक्तिशाली उद्योग संस्था है, इससे उन्हें बाहर कर दिया गया। इस शर्मनाक घटना के बाद केरल
सरकार ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों और कर्मचारियों की सुरक्षा, काम की शर्तों और उनके साथ हो रहे शोषण को लेकर
आवाज उठने लगी। इसलिये केरल सरकार ने हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस के. हेमा की
अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन जुलाई, 2017 को कर दिया। इस कमेटी में अभिनेत्री टी. शारदा और केरल की
प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से सेवानिवृत्त के. बी. वाल्साला कुमारी को भी शामिल
किया गया। इस कमेटी के गठन का उद्देश्य मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों, अन्य महिला कर्मचारियों की सेवा शर्तें एवं
भुगतान, उनकी बेसिक जरूरतें, उनकी सुरक्षा के तमाम इंतजाम आदि का पता लगाकर
रिपोर्ट देना था। जिससे मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं की
वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगाया जा सके।
क्या है जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट
अपने सीमित कार्यकाल में इस कमेटी ने मलयालम फिल्म
इंडस्ट्री के हर पहलू पर काम किया और उम्मीद से अधिक सच सामने लाने में मदद की।
हालांकि ऐसा नहीं था कि इस रिपोर्ट से पहले मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में लग रहे
महिला शोषण के विषय में किसी को पता नहीं था। समय समय पर आने वाली कई रिपोर्ट में
यह बात छन-छनकर सामने आ रही थी। इस रिपोर्ट ने सच्चाई सामने लाने के लिये सैकड़ों
महिला कलाकारों, टेक्नीशियनों, निर्माताओं और निर्देशकों से बात की। और उनके
बयानों को रिकार्ड भी किया। कमेटी ने यह रिपोर्ट 2019 को सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट को रोके रखने के पीछे
जो शक्तियां काम कर रही थीं और रिपोर्ट जिस तरह से पांच सालों तक धूल खाती रही
उससे पता चलता है कि रिपोर्ट में क्या हंगामाखेज था और किसकी कारगुजारियां सामने
आने की संभावना थी। तमाम प्रयासों के बाद अब जब खुद केरल सरकार ने इस रिपोर्ट को
सार्वजनिक कर दिया है, तो बहुत से पर्दे
गिर गये हैं।
295 पन्नों की इस
रिपोर्ट से प्रारंभिक 44 पन्नों को हटाने के
बाद जारी किया गया है। इन बाकी बचे पन्नों में काॅस्टिंग काउच से लेकर निर्देशकों, निर्माताओं और अभिनेताओं के 10 से 15 पुरुषों के एक ‘कट्रोल ग्रुप’ की कहानी है। इस इंडस्ट्री को कुछ ‘शक्तिशाली पुरुष’ नियंत्रित करते हैं। ये लोग एक ‘माफिया’ की तरह काम करते हैं। इनके विरूद्ध कोई जाकर काम नहीं कर
सकता। जो महिलाएं उनकी शर्तों से सहमत नहीं होती, उन्हें यह इंडस्ट्री छोड़नी पड़ती है। रिपोर्ट में कहा गया है
कि निर्देशक और निर्माता अक्सर महिलाओं के शोषण के लिये उन पर दबाव डालते हैं।
उनसे बार बार ‘समझौता’ और ‘एडजस्टमेंट’ करने के लिये कहते हैं। आधी रात को उनके दरवाजों में दस्तक
दी जाती, उन्हें जबरदस्ती छुआ या चूमा जाता, अच्छे रोल के लिये उनसे सेक्सुअल फेवर मांगा
जाता, यह सब इस रिपोर्ट में दर्ज है। इसके अलावा
उन्हें अनियमित भुगतान किया जाता। उनके लिये बेसिक सुविधाएं जैसे वाशरूम, चेंजिंग या रेस्ट रूम तक नहीं होते हैं।
कामोवेश इस रिपोर्ट के आने के बाद कुछ अभिनेत्रियों ने
सार्वजनिक रूप से बाहर आकर प्रसिद्ध शख्सियतों पर आरोप लगाये हैं। इसके परिणाम
स्वरूप एसोसिएशन आॅफ मलयालम मूवी अर्टिस्टस के सीनियर मेंबर रंजीत के खिलाफ केस
दर्ज कर लिया गया है। फलतः उन्हें केरल स्टेट चलचित्र अकेडमी से जाना पड़ा। साथ ही
प्रसिद्ध अभिनेता सिद्दीकी पर आरोप लगने के बाद एक्टर एसोसिएशन जनरल सिक्रेटरी के
पद से हटा दिया गया है। इन सब आरोपों को देखते हुये केरल सरकार ने एक एसआईटी गठित
कर दी है, जो आने वाले मामलों की जांच करेगी।