महिलाओं के बारे में प्रचलित तमाम सौंदर्य मापदंड जिन्हें किसी महिला ने तो नहीं बनाये हैं, एक एक कर सौंदर्य प्रतियोगिताओं से बाहर हो रहे हैं। इसका एक ही कारण नजर आ रहा है कि महिलाएं ‘मेल गेज’ के इतर अपने वास्तविक सौंदर्य को देखने लगी हैं। यह उनकी स्त्री अस्मिता और सशक्तिकरण की आहट है।
पिछले दिनों साउथ कोरियन माॅडल चोई सून-ह्वा काफी चर्चित रहीं। चर्चा की वजह थी परदादी की उम्र में उनका मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता के लिये भाग लेना। उन्होंने सफेद मोतियों और सिफान की ड्रेस पहनकर अपने सन जैसे बालों के साथ पोतियों की उम्र की सहभागियों के साथ पूरी गरिमा से प्रतियोगिता में भाग लिया। हालांकि 22 वर्षीय हान एरियल ने नवंबर में मैक्सिको सिटी में होने वाली 73वीं मिस यूनीवर्स प्रतियोगिता के लिये अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। माॅडल चोई ने अपने पूरे जीवन एक हॉस्पिटल में केयर वर्कर के तौर पर काम करते हुये अपने परिवार की देखभाल की। लेकिन कहीं न कहीं उनके अंदर माॅडलिंग करने की इच्छा विद्यमान रही थी। इसलिये 70 साल की उम्र में उन्होंने अपना माॅडलिंग कैरियर प्रारम्भ किया। 11 साल के अपने कैरियर में तमाम सीढ़ियां चढ़ते हुये उन्होंने सितंबर में मिस यूनीवर्स कोरिया फाइनलिस्ट के 31 प्रतियोगियों के बीच अपनी जगह पक्की कर ली। पत्रकारों से बात करते हुये चोई ने कहा कि इस उम्र में भी मेरे पास अवसर ढूढ़ने और चुनौती लेने का साहस था। मैं चाहती हूं कि लोग मुझे देखें और महसूस करें कि जब आप अपनी मनचाही सफलता चाहते हैं और उसे हासिल करने की चुनौती देते हैं, तब आप कही अधिक स्वस्थ और खुश महसूस कर सकते हैं।
इसी तरह की खबर इस
वर्ष जून में अमेरिका से आयी। एल पासो की 71 वर्षीय माॅडल मारिसा टेइजो सुर्खियों में आ गई, जब उन्होंने मिस टेक्सास
यूएसए प्रतियोगिता में सबसे उम्रदराज प्रतियोगी के रूप में भाग लिया। यह
प्रतियोगिता मिस यूएसए के लिये प्रारंभिक प्रतियोगिता थी। यद्यपि टेइजो खिताब नहीं
जीत पाई, पर उन्होंने बहुत सी
महिलाओं के न केवल दिल जीत लिये, बल्कि उनके आंखों में अपने सपनों को पूरा करने के ख्वाब भर दिये। इस अवसर पर
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैंने बहुत सी महिलाओं को फिट और स्वस्थ रहने के
लिये प्ररित कर सकती हूं। मेरा उद्देश्य भी यही था।....अगर तुम अपना ख्याल रख सकते
हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती... मैं चेहरे की बात नहीं कर रही हूं। मैं फिट
रहने, स्वस्थ शरीर रखने और
मजबूत होने की बात कर रही हूं। टेइजो ने मीडिया में अपनी कई बातचीत में बताया-
महिलाओं को दुबली होने के बजाय स्वस्थ और मजबूत होने का प्रयास करना चाहिये। वे
खुद हफ्ते में तीन बार कसरत करती, वजन उठाने की प्रैक्टिस करती हैं। वे अपने डाॅगी को पास की पहाड़ियों पर घुमाकर
कार्डियो भी करती हैं और अन्य दिनों वे स्पिन भी करना पसंद करती हैं।
ये दोनों घटनायें
बता रही हैं कि स्त्री सौंदर्य की रूढ़ मान्यताएं (जिसमें उम्र और शारीरिक मापदंड
शामिल थे) धराशायी हो गई हैं। यह तब संभव हुआ है जब पिछले साल मिस यूनीवर्स
प्रतियोगिता में भागीदारी के लिये निर्धारित 18 से 28 साल की उम्र सीमा को हटा लिया गया है। इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं में इस तरह
की सीमाओं की हमेशा से आलोचना की जाती रही हैं। वास्तव में इतना बड़ा परिवर्तन तब
आया, जब महिलाओं की होने
वाली सौंदर्य प्रतियोगिता में एक महिला का मालिकाना हस्ताक्षेप हुआ। 2022 में मिस यूनीवर्स आॅर्गनाइजेशन को 20 मिलियन डाॅलर में ट्रांसजेंडर उद्यमी ऐनी
जक्काफोंग जकराजुताटिप ने खरीद लिया। तब इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं में क्रांतिकारी
परिवर्तन एक के बाद एक हुये। 2023 में ऐनी जिन्हें ऐनी जेकेएन के नाम से भी जाना जाता है, ने 2023 के सीजन के लिये विवाहित, तलाकशुदा और गर्भवती जैसी कैटागरी में बंटी
महिलाओं पर से प्रतिबंध हटा लिये थे। ऐनी ने मीडिया से बात करते हुये कहा था कि
मेरी नियंत्रणवाली मिस यूनीवर्स मानती है कि सुंदरता बाहरी और आंतरिक दोनों होती
हैं।... हम मेल गेज से दूर छोटे-छोटे कदम उठा रहे हैं और मैं सीख रही हूं कि कैसे
करना है।
ऐनी जेकेएन के इन
छोटे-छोटे लेकिन प्रभावी परिवर्तनों से इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं का स्वरूप काफी
बदलने वाला है। ऐनी जेकेएन ने अपने नियंत्रण वाली कंपनी में यह परिवर्तन कर लिया
है, तो इसका प्रभाव
भविष्य में तमाम सौंदर्य प्रतियोगिताओं में अवश्य पड़ेगा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। साउथ कोरियन
माॅडल चोई सून-ह्वा ने अपनी सफलता के लिये लड़ने और चुनौतियों का सामना करके खुशी
ढूंढ़ने को इस प्रतियोगिता का सार समझा है, वहीं माॅडल मारिसा टेइजो ने शारीरिक रूप
से स्वस्थ और मजबूती को अपना लक्ष्य बनाया है। इन थोड़े से बदलाव के बाद लोगों की
सोच खासकर महिलाओं की, जो ‘मेल गेज’ से अपने सौंदर्य को
गढ़ती दिखती थी, कितना बदलाव आ सकता
है यह भविष्य में जरूर दिखेगा। वास्तव में यह कितना हास्यास्प्रद दिखता है कि ‘कोई’ यह चाहता है कि हम कैसे दिखे, और हम उसी ढांचे और खाके में ढलने के लिये मजबूर हो जाते हैं या कर दिये जाते
हैं। यह विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताएं वास्तव में इस बात को आगे बढ़ाने का काम कई दशकों
से कर रही थीं।
महिलाओं के सौंदर्य
से साहित्य भरा पड़ा है। नख से शिख तक महिलाओं के सौंदर्य का वर्णन करने में
तरह-तरह की उपमाएं रची गई हैं। ये सभी उपमाएं महिलाओं क शारीरिक सौंदर्य को लेकर
ही है। आंख, नाक, होठ, बाल, हाथ, कमर आदि सभी के लिए एक-एक मापदंड सेट किया गया
है। साथ ही साथ एक निश्चित उम्र भी महिलाओं के लिये मापदंड मानी गई है। सबसे बड़ी
बात उसका अविवाहित होना भी है। यह सब अनायास नहीं है। यह उस ‘उपभोग’ का प्रस्तुतिकरण है जिसमें एक स्त्री स्त्री न होकर सामान होती है। इसलिए उसे
एक मापदंड, एक आकार में ढली हुई
होना ही चाहिए। कभी न कभी जब हम किसी को सुंदर मानते हैं, तब हम उसका बाहरी रूप ही
देख रहे होते हैं। हम उसे सौंदर्य के प्रचलित मापदंड पर कस रहे होते हैं। विभिन्न
सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी यही कर रही हैं। कमोवेश ये सभी मापदंड महिलाओं पर भारी
पड़ रहे हैं। उनका सुंदर होना सांस लेने जितना जरूरी हो गया है। सौंदर्य उत्पाद, ब्यूटी पार्लर, ब्यूटी सर्जरी और बोटेक्स इन्हीं सौंदर्य
मापदंडों की आधुनिक उपज हैं। इसी कमजोरी को ब्यूटी मार्केट बहुत अच्छे से भुना रहा
है।
महिलाओं की वास्तविक
विडंबना यही है। जो वह है नहीं हैं, वह उन्हें बनना होता है। इसके लिए चाहे मेकअप सहारा लेना पड़े या फिर सर्जरी
का। नहीं तो उन्हें सुंदर होने की स्वीकृति नहीं मिल सकती। यही बात ग्लैमर जगत और
विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताएं स्थापित करती रही हैं। जून, 2018 में मिस अमेरिका आॅर्गनाइजेशन ने अपनी
प्रतियोगिता से स्वीमिंग सूट खतम कर दिया था। तब ग्रेचन कार्लसन जो मिस अमेरिका
ऑर्गनाइजेशन की चेयरवुमन थीं, ने कहा था कि ‘हम अपने
प्रतियोगियों को उनके शारीरिक मापदंडों के अनुसार और जज नहीं कर सकते। यह सौंदर्य
तमाशा नहीं, प्रतियोगिता है।’ कार्लसन 1989 में मिस अमेरिका भी रह चुकी हैं। लगभग सौ वर्ष पुरानी मिस
अमेरिका प्रतियोगिता से महिलाओं का वास्तुनिष्ठ प्रस्तुतिकरण की परिचायक
स्विमिंगसूट राउंड हटाने के लिए उन्हें बल मिला। उन्होंने इस बारे में आगे कहा कि
इस राउंड की जगह प्रतियोगियों से उनके पैशन, बुद्धिमत्ता और समझदारी दर्शाने वाले प्रश्न पूछे जाएंगे। इसी तरह मिस वर्ल्ड
प्रतियोगिता से स्विमिंगसूट राउंड खत्म किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए 1994 की विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय ने कहा था कि मिस
वर्ल्ड प्रतियोगिता के 87 प्रतियोगियों में से मेरे पास स्विमिंग सूट पहनने वाली बॉडी सेप नहीं था, फिर भी मैं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीत गई।
आज इन प्रतियोगिताओं
से इवनिंग गाउन राउंड भी खत्म किए जाने पर विचार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि
प्रतियोगियों को वह पहनना चाहिए जिसमें वे अपने आप को ठीक से व्यक्त कर सकें।
सौंदर्य प्रतियोगिताओं में इस किस्म के बदलाव स्त्री अस्मिता की चेतना को दिखा रहा
है। इसे अभी काफी आगे बढ़ना होगा।