‘सबसे खतरनाक होता है
घर से काम पर
और काम से लौटकर घर आना’
‘पाश ’ ने चेताया था।
दफ्तर और घर के बीच का यह फासला
कितना खतरनाक होता है
इसको एक स्त्री से बेहतर कौन जान सकता है।
इसलिए अब मैं 'पाश' के साथ
जाती हूं दफ्तर
और लौटती भी हूं उन्हीं के साथ
सुरक्षित अपने घर,
क्योंकि वे कहते हैं कि
‘सबसे खतरनाक होता है-
मुर्दा शांति से भर जाना,
तड़प का न होना,
सब कुछ सहन कर जाना।’
(मुंबई बलात्कार कांड से परेशान मन ने जब अवतार सिंह संधू 'पाश' की 'सबसे खतरनाक' कविता को पढ़ा ॥ )
घर से काम पर
और काम से लौटकर घर आना’
‘पाश ’ ने चेताया था।
दफ्तर और घर के बीच का यह फासला
कितना खतरनाक होता है
इसको एक स्त्री से बेहतर कौन जान सकता है।
इसलिए अब मैं 'पाश' के साथ
जाती हूं दफ्तर
और लौटती भी हूं उन्हीं के साथ
सुरक्षित अपने घर,
क्योंकि वे कहते हैं कि
‘सबसे खतरनाक होता है-
मुर्दा शांति से भर जाना,
तड़प का न होना,
सब कुछ सहन कर जाना।’
(मुंबई बलात्कार कांड से परेशान मन ने जब अवतार सिंह संधू 'पाश' की 'सबसे खतरनाक' कविता को पढ़ा ॥ )
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