दिल्ली विधानसभा में महिला प्रतिनिधित्व में गिरावट चिंतन का विषय है। दिल्ली में शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और आतिशी जैसी तीन महिला मुख्यमंत्री देने वाली दिल्ली की विधानसभा में महिला विधायकों की घटती संख्या आगामी नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिये कोई अच्छा संकेत तो नहीं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 के परिणाम जहां भारतीय जनता पार्टी के लिये काफी सुखद रहा, वहीं आम आदमी पार्टी के अस्तित्व का सवाल बन गया है। लेकिन इन सबके बीच महिला प्रतिनिधित्व का सवाल मुंह बांये खड़ा हो गया है। कारण, महिलाओं के निराशाजनक प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। सत्ता की बागडोर हाथ में लेने वाली भारतीय जनता पार्टी के पाले में चार महिला उम्मीदवारों की सीटें हाथ में आईं हैं, वहीं सत्ता खो चुकी आम आदमी पार्टी के हाथ में पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी के रूप में एक महिला विधायक की सीट आई है। विधानसभा चुनाव में इन दोनों प्रमुख दलों ने क्रमशः 09-09 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। कांग्रेस पार्टी ने 07 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिसमें अलका लांबा जैसी दिग्गज भी थीं, यह दूसरी बात है कि कांग्रेस का इस चुनाव में खाता भी नहीं खुला।
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 महिला उम्मीदवारों की सफलता का प्रतिशत पिछली विधानसभा
चुनाव से कम रहा है। आंकड़ों की माने तो कुल 699 उम्मीदवारों में से 96 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, जिनमें से केवल 5 ही जीत दर्ज कर सकीं। 2020 में 08 महिलाएं विधानसभा
में पहुंच सकी थीं। ग्रेटर कैलाश से विजय हुईं भाजपा की शिखा राय ने आप के दिग्गज
सौरभ भारद्वाज को हराया है। नजफगढ़ सीट से विजय हुईं नीलम पहलवान ने आप के तरूण
कुमार को हराया है। शालीमार बाग से जीतीं भाजपा की रेखा गुप्ता ने आप की वंदना
कुमारी को हरा कर विधानसभा पहुंची हैं। वहीं वजीरपुर से जीतीं भाजपा की पूनम शर्मा
ने राजेश गुप्ता को हराया है। अगर आम आदमी पार्टी की एकमात्र विजयी महिला
उम्मीदवार आतिशी की बात करें तो उन्होंने कालकाजी सीट से भाजपा के रमेश विधूड़ी को
एक कड़े मुकाबले में हराया है। इसी सीट से कांग्रेस की दिग्गज अलका लांबा भी खड़ी
थीं। कालकाजी सीट काफी चर्चा बटोरने लगी थी, जब बड़बोले रमेश विधूड़ी ने पूर्व मुख्यमंत्री के लिये
अशोभनीय टिप्पणी कर दी थी।
पिछले चुनावों की तुलना में इस बार महिला विधायकों की
संख्या में कमी आई है। ऐसा नहीं है चुनाव मैदान में मजबूत महिला उम्मीदवार नहीं थी, आम आदमी पार्टी के कमजोर प्रदर्शन ने महिला
उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। 2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो राखी बिड़लान मंगोलपुरी, वंदना कुमारी शालीमार बाग, धनवंती चंदेला राजौरी गार्डन, राजकुमारी ढिल्लो हरिनगर, प्रीति तोमर त्रिनगर, भावना गौड़ पालम और आतिशी कालकाजी सीटों से चुनाव
जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। अगर इस बार की बात करें तो राखी बिड़लान मादीपुर से, वंदना कुमारी शालीमार बाग से, प्रीति तोमर त्रिनगर से और धनवंती चंदेला राजौरी
गार्डन से चुनाव हार गई हैं। ये सभी महिलाएं आप की मजबूत उम्मीदवार थी। लेकिन जनता
ने इनकी जगह दूसरे उम्मीदवारों को तरजीह दे दी।
मैदान में रहे तीन प्रमुख दलों ने कुल 25 महिलाओं को टिकट दिये थे। जो पिछली बार से एक
अधिक था। इस बार 60.92 फीसदी महिलाओं ने
वोट दिये, वहीं 60.21 फीसदी पुरुष वोट पड़े। कई विधानसभाओं में महिलाएं वोट देने
के मामलों में पुरु
षों से आगे रहीं। इन चुनावों में महिलाओं को आकर्षित करने की
काफी जद्दोजहद देखी गई। इसी का परिणाम है कि महिलाएं वोट देने में आगे रहीं। महिला
वोटरों को आकर्षित करने के लिये लगभग सभी प्रमुख दलों ने एक से बढ़कर कैश ट्रांसफर, फ्रीबीज का सहारा लिया, पर यहां एंटीकंबेंसी काम कर गई। आप की योजनाओं
से एक ओर गरीब तबके की महिलाओं को काफी सुविधाएं हासिल हुई थीं, लेकिन मिडिल क्लास की महिलाओं को कुछ खास हाथ
नहीं लगा। कम हो रही आमदनी और महंगाई के बीच संघर्ष ने उन्हें आप के अतिरिक्त
सोचने पर मजबूर कर दिया। महिला उम्मीदवारों के हारने का चाहे जो करण हो, पर दिल्ली विधानसभा के अब तक के कुल कार्यकाल
में तीन महिला मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और आतिशी के रहते विधानसभा में महिला विधायकों
की संख्या का घटना चिंता का विषय तो है ही।
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