
आज डर का
कुछ खास रंग
देख पा रही हूँ ,
जो कोहरे की तरह
सफेद है ...या
धुंए की तरह
एकदम काला
डर के ये दोनों रंग
या कहे दोनों पक्ष
चुनने का विकल्प
कौन सा होगा मेरा ?
एक रंग में सब कुछ
देखने की सुविधा है
तो दूसरे में
खुद को खोने की।
नव वर्ष आया
भानुकारों ने बिखेरा प्रकाश
प्रकाशमय हो गया कण-कण
रिक्त हुआ अँधेरा कण-कण से
भर दिया उल्लास, नई स्फूर्ति जन जन में
दूर हुई आलस्य की काली छाया
संचार हुई नव पवन संजीवनी
उठ खड़ा हुआ नव प्रभात
अंतर्मन में
सृजित हुआ नव जीवन
नव वर्ष आया, नव वर्ष आया।
( १९९७ में लिखी गई ये नव वर्ष से उल्लासित पक्तियां आज मुझे स्कूल टाइम की एक नोट बुक में मिल गई। जो मैंने अपने एक मित्र को ग्रीटिंग कार्ड में भेजने के लिए लिखा था। अब पता नहीं वह कहाँ है। पर आज उसकी याद आ ही गई)