नव वर्ष आया
भानुकारों ने बिखेरा प्रकाश
प्रकाशमय हो गया कण-कण
रिक्त हुआ अँधेरा कण-कण से
भर दिया उल्लास, नई स्फूर्ति जन जन में
दूर हुई आलस्य की काली छाया
संचार हुई नव पवन संजीवनी
उठ खड़ा हुआ नव प्रभात
अंतर्मन में
सृजित हुआ नव जीवन
नव वर्ष आया, नव वर्ष आया।
( १९९७ में लिखी गई ये नव वर्ष से उल्लासित पक्तियां आज मुझे स्कूल टाइम की एक नोट बुक में मिल गई। जो मैंने अपने एक मित्र को ग्रीटिंग कार्ड में भेजने के लिए लिखा था। अब पता नहीं वह कहाँ है। पर आज उसकी याद आ ही गई)
4 टिप्पणियां:
ओंठों पर मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ
नए वर्ष की नई सुबह में महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ" FONT लिखने के 24 ढंग
"संपादक : सरस पायस"
नववर्ष के लिए अच्छी रचना.
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ.
बहुत बढ़िया नव वर्ष गीत!!
अच्छी लगी नववर्ष पर लिखीं,पंक्तियाँ ।
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