आज 25 दिसबंर को
दिल्ली के सबसे षानदार चर्च के सामने
घूम रहे है छोटे-छोटे ईसा मसीह
किसी सैंटा की खोज में नहीं
ग्राहको की खोज में....
...सैंटा की टोपी बेच रहे हैं वे
मखमली सुर्ख लाल गोल टोपी
बिलकुल उनके चेहरों की तरह
दीदी, भैया, आंटी-अंकल
सबसे इसरार कर रहे हैं
हाथ में पकड़ी हुई टोपियों को
दिखा रहे हैं-
हमारी आंखों से आखें मिला रहे हैं
ताकि हम जान सके कि क्यूं खरीदनी है हमें
वे टोपियां...!
000 000 000
पर वे नहीं जानते
इतनी सर्दी में
वे क्यूं बेच रहे हैं
सैंटा की टोपियां
कौन है सैंटा?
इन्होंने वह कहानी भी नहीं सुनी
जिसमें रात को चुपके से
उनके मोजों में छुपा जाता है कोई उपहार
उनके लिए सैंटा तो बस यही टोपियां हैं
जो रात को
भर सकेगा उनका पेट!
दिल्ली के सबसे षानदार चर्च के सामने
घूम रहे है छोटे-छोटे ईसा मसीह
किसी सैंटा की खोज में नहीं
ग्राहको की खोज में....
...सैंटा की टोपी बेच रहे हैं वे
मखमली सुर्ख लाल गोल टोपी
बिलकुल उनके चेहरों की तरह
दीदी, भैया, आंटी-अंकल
सबसे इसरार कर रहे हैं
हाथ में पकड़ी हुई टोपियों को
दिखा रहे हैं-
हमारी आंखों से आखें मिला रहे हैं
ताकि हम जान सके कि क्यूं खरीदनी है हमें
वे टोपियां...!
000 000 000
पर वे नहीं जानते
इतनी सर्दी में
वे क्यूं बेच रहे हैं
सैंटा की टोपियां
कौन है सैंटा?
इन्होंने वह कहानी भी नहीं सुनी
जिसमें रात को चुपके से
उनके मोजों में छुपा जाता है कोई उपहार
उनके लिए सैंटा तो बस यही टोपियां हैं
जो रात को
भर सकेगा उनका पेट!
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