शनिवार, 22 मार्च 2025

पंचायत पति, मुखिया पति, सरपंच पति हैं, तो फिर कौन है असली प्रधान

एक ओटीटी वेब सीरीज ‘पंचायत’ लोगों द्वारा काफी पसंद की जा रही है। इसके कई संस्करण भी आ चुके हैं। इसमें मंजू देवी गांव फुलेरा की प्रधान चुनी जाती हैं, लेकिन नाममात्र की प्रधान। उनके प्रतिनिधि के तौर पर उनके पति ही सारा कामकाज देखते हैं और गांववालों की नजर में वे ही ‘असली’ प्रधान (मुखिया सरपंच) होते हैं। इस सीरीज में बहुत ही चुटीले ढंग से गांव फुलेरा, उसकी समस्याओं और असली प्रधान मंजू देवी और उनके प्रतिनिधि यानी प्राॅक्सी प्रधान, प्रशासन और गांवदारी पर बड़ी रोचकता के साथ चित्रण किया गया है। इसी ‘पंचायत’ सीरीज के कलाकारों को लेकर पंचायती राज मंत्रालय ने द वायरल फीवर के सहयोग से 15 से 20 मिनट की फिल्म बनाई गई है जिसमें प्रधान मंजू देवी अपने पति ‘प्रधानपति’ की अनुपस्थिति में अपने कामकाज को निपटाती हैं, बल्कि बड़ी ही कुशलता से निपटाती हैं। और गांववालों का दिल जीत लेती हैं। इस प्रोडक्शन का शीर्षक दिया गया है- असली प्रधान कौन?

चार मार्च को इस प्रोडक्शन का प्रीमियम विज्ञान भवन, दिल्ली में देश भर से आई 1200 ग्राम महिला प्रतिनिधियों के सामने किया गया। इस प्रोडक्शन में नीना गुप्ता, चंदन रॉय और फैसल मलिक जैसे प्रसिद्ध कलाकार हैं। यह फिल्म सरपंच पति संस्कृति को संबोधित करती है। आज भी हमारे महिला ग्राम प्रतिनिधियों की यह प्रमुख समस्या है कि उनके प्रतिनिधियों के तौर पर उनके पति, पिता, भाई, ससुर या देवर जैसे रिश्तों के पुरूष प्रतिनिधि ही उनके प्रतिनिधि के तौर पर काम करते हैं। इसके बहुत से कारण है जिनको दूर करना अभी बाकी है। इसी क्रम में पंचायती राज मंत्रालय ने ‘सशक्त पंचायत नेत्री अभियान’ चलाया है। असली प्रधान कौन फिल्म दर्शाती है कि एक महिला ग्राम प्रधान जन कल्याण के लिए अपनी शक्तियों का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग करती है। यह फिल्म प्राॅक्सी प्रतिनिधित्व के मुद्दे को उठाती है, जहां परिवार के पुरुष सदस्य अनौपचारिक रूप से निर्वाचित महिला नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक ऐसी प्रथा है, जो पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के संवैधानिक जनादेश को कमजोर करती है। इस फिल्म के बारे में मंजू देवी का किरदार निभाने वाली प्रसिद्ध अभिनेत्री नीना गुप्ता कहती हैं कि असली प्रधान कौन? सिर्फ एक और प्रोडक्शन नहीं है, यह ग्रामीण भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविक जीवन की चुनौतियां हैं।

पिछले दिनों पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पूर्व खान सचिव सुशील कुमार के नेतृत्व में गठित समिति ने एक रिपोर्ट मंत्रालय को पेश की है। इस समिति का गठन सितंबर, 2023 में किया गया था। ‘पंचायती राज प्रणालियों और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भूमिकाओं को बदलनाः प्रॉक्सी भागीदारी के प्रयासों को खत्म करना’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट ने मंत्रालय और कई संबंद्ध संस्थाओं का व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। स्थानीय शासन में वास्तविक महिला नेतृत्व को मजबूत करने के मंत्रालय के लगातार प्रयासों के पक्ष में यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। इसकी वजह है कि इस रिपोर्ट ने न केवल वास्तविक समस्या को एड्रेस किया, बल्कि समस्या का समाधान भी प्रस्तावित किया है। इस कड़ी में मंत्रालय द्वारा साल भर चलने वाला ‘सशक्त पंचायत नेत्री अभियान’ है जिसे देश भर में पंचायती राज संस्थाओं की महिला प्रतिनिधियों की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। यह पंचायती राज पदों पर निर्वाचित महिलाओं के कौशल और आत्मविश्वास के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा। साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि वे अपने संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहीं हैं कि नहीं।

73वां संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत प्रदेशों में पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम बनाये गये। इस तीन स्तरीय स्थानीय शासन व्यवस्था में महिलाओं को एक तिहाई सीटें आरक्षित की गईं। समय के साथ इस आरक्षण को बढ़ाकर कई राज्यों में 50 फीसदी तक कर दिया गया। अब तक 21 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं की सीटें 50 फीसदी आरक्षित हैं। साल 2005 में, पंचायती राज संस्थाओं में कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों की संख्या 27.82 लाख थी, जिनमें 10.42 लाख यानी 37.46 फीसदी महिला प्रतिनिधि थीं। 2020 तक यह संख्या बढ़कर 31 लाख से अधिक हो गई, जिसमें 14.50 लाख से ज्यादा यानी 46 फीसदी महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि थीं। यह दर्शाता है कि इतने वर्षों में महिला नेतृत्व की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इन सबके बावजूद रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में प्राॅक्सी प्रतिनिधित्व की संख्या अन्य राज्यों की तुलता में कहीं ज्यादा है।

‘पंचायती राज प्रणालियों और संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भूमिकाओं को बदलनाः प्रॉक्सी भागीदारी के प्रयासों को खत्म करना’ रिपोर्ट में इस समस्या से निपटने के लिये कुछ सुधारात्मे दंड की सिफारिशें की गई हैं। मंत्रालय का भी कहना है वह अपनी सिफारिशों को लागू करने के लिये कदम उठाएगा, जिसमें नीतिगत हस्तक्षेप, संरचनात्मक सुधार और अनुकरणीय दंड शामिल है, ताकि प्रधान पति, सरपंच पति या मुखिया पति की प्रथा पर रोक लगाई जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि गांवों में महिलाओं की पारंपरिक और सदियों पुरानी पितृसत्तात्मक मानसिकता और कठोर सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों को मनवाने से भी महिला प्रतिनिधित्व पीछे चला जाता है। इसमें एक है कई तरह की पर्दा प्रथाओं का पालन करना। रिपोर्ट में एक कारण राजनीतिक दबाव को भी बताया गया है, जिसमें राजनीतिक विरोधियों द्वारा मिलने वाली धमकी और दबाव भी होता है जिसे न मानने पर उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है। इस किस्म की हिंसा में उनका अनुसूचित जाति और जनजाति, अल्पसंख्यक और विकलांग श्रेणियों का होने से उनके उपर दबाव और अधिक पड़ने लगता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं की घरेलू जिम्मेदारियों के कारण उन्हें सार्वजनिक कामों से खुद को अलग करने का दबाव भी पड़ता है। घर और बाहर दोनों जिम्मेदारियों के दबाव में वे अक्सर घर की जिम्मेदारियों को चुन लेती हैं। इसके अतिरिक्त बहुत बड़ा करण उनका अशिक्षित रह जाना भी है। बहुत सी सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों से महिलाओं को शिक्षा और सार्वजनिक कामों के अनुभव न हो पाने के कारण वे निर्वाचित होने के बावजूद अपनी भूमिका को सीमित कर लेती हैं। सबसे ज्यादा उन्हें वित्तीय निर्णय संबंधी कामों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से वे संबंधी पुरूष साथियों की मदद लेने को मजबूर हो जाती हैं।

प्राॅक्सी प्रतिनिधित्व के कारणों में समिति की बातों को गौर किया जाये तो वे सभी वही कारण हैं जिनकी वजह से महिलाओं को घर के बाहर सार्वजनिक भूमिका को स्वीकारा नहीं जाता है। स्वीकारने से पहले उनकी सार्वजनिक भूमिका को ही नाकारने की प्रवृत्ति रहती है, जो उनकी राह में कई तरह की बाधाओं के रूप में सामने आती है। पंचायती शासन प्रणाली को लागू हुये 31 वर्ष हो चुके हैं। महिला प्रतिनिधियों को किसी न किसी बहाने उन्हें उनकी पारंपरिक भूमिका में सीमित करने की मानसिकता में ऐसे ही किन्हीं सरकारी प्रयासों से कुछ संभव हो सकता है। असली प्रधान कौन से यह शुरूआत कितनी प्रभावी होगी, आने वाले समय में ही पता चल सकेगा।

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