फिल्म ‘आवर्तन’ गुरु-शिष्य परंपरा बनी है जिसमें गुरु-शिष्य के बीच कई पीढ़ियों से चले आ रहे संबंधों को लेकर बनाया गया है। फिल्म की कहानी और निर्देशन दुर्बा सहाय का है। फिल्म में मुख्य भूमिका मशहूर कथक नृत्यांगना शोवना नारायण ने की है। हाल ही में फिल्म ‘आवर्तन’ आईएफएफआई एवं आईएफएफटी दिखाई गई है। दुर्बा सहाय कहानी लेखन, पटकथा लेखक और थिएटर में एक जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने फिल्म निर्देशन की शुरूआत ‘दपेन’ से की थी। इसके बाद कई शाॅर्ट फिल्में बनाई जिनमें से ऐन अननोन गेस्ट, द मैकेनिक, पेटल्स, पतंग जैसी फिल्मों ने लोगों का ध्यान खींचा। ‘आवर्तन’ उनकी पहली फीचर फिल्म है। फिल्म को लेकर दुर्बा सहाय के अनुभव और रचना प्रक्रिया के बारे में बात की प्रतिभा कुशवाहा ने।
इस फिल्म को बनाने का ख्याल कैसे आया। क्या किसी प्रकार की कोई प्रेरणा
काम कर रही थी।
हां, प्रेरणा तो थी ही। क्या होता है कि आइडियाज
अचानक से आते हैं और चले भी जाते है। तुम इस पर कुछ लिखो या बनाओ। चूंकि मैं फिल्म
मेकिंग से बहुत समय से जुड़ी हुई हूं, तो मुझे लगा कि गुरु-शिष्य
परंपरा पर भी एक शाॅर्ट फिल्म बनाते हैं। तो जब लिखने लगी तो लिखते-लिखते लगा कि
इस पर शाॅर्ट फिल्म नहीं बन सकती। यह फीचर फिल्म बनेगी क्योंकि कहानी चारों तरफ से
अपने फंख फैला रही थी।
लीड रोल के लिए शोवना नारायण का ही चुनाव आपने क्यों किया। उनके साथ काम
का कैसा अनुभव रहा आपका।
गुरु-शिष्य परंपरा के लिए मैंने एक डांसर को ही चुना वैसे मैं किसी पेंटर, किसी सिंगर के गुरु को भी चुन सकती थी, पर मुझे डांस से बहुत अधिक लगाव है खासकर कथक से बहुत ज्यादा। तो जब मैं लिख रही थी तभी मुझे लगा कि शोवना जी से अच्छा कौन नृत्यांगना हो सकती हैं। शोवना जी मेरी मित्र भी है इसलिए कहानी देखते ही उन्होंने हां कर दिया। पर उनकी हां के बाद मुझे तो दस दिन तक नींद ही नहीं आई कि मैं उनसे एक्टिंग कैसे कराउंगी। फिर मैंने साहस बटोरा कि चलो, जिनको-जिनको लिया है,
उनसे रिहर्सल के द्वारा हम अपना लक्ष्य पा लेंगे। तो हम रोज ही रिहर्सल करते थे एक-एक डाॅयलाॅग पर काम करते थे कि कैसे करना है। फिर उसमें डांस कितना होगा। एक लेखक होने के नाते मेरा डर था कि फिल्म में डांस हाॅवी न हो जाए। कहानी कहीं छुप न जाए। तो इसे बैलेंस रखने के लिए मुझे बहुत काम करना पड़ा। तीन महीने हमने इन्हीं सब बातों में काम किया। फिर फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। सुषमा सेठ ने फिल्म में शोवना जी के गुरु का रोल किया है। फिल्म में दो-चार पीढ़ी की गुरु शिष्य परंपरा को दिखाया गया है। सितारा देवी, गौहर जान सभी के फुटेज शामिल किये गये है। फिल्म की शुरूआत सितारा देवी को दिखाते हुए ही शुरू होती है।यह फिल्म गुरु-शिष्य रिश्ते के
चक्र को दर्शाती है। एक गुरु अपने शिष्य के संरक्षक के रूप में काम करता है यही
कारण है कि शिष्य अपने गुरु पर आगाध विश्वास करते हैं। क्या यह संभव है कि एक गुरु
के मन में अपने शिष्य की सफलता को लेकर ईर्ष्या हो जाए।
नहीं, ईर्ष्या नहीं होती है असुरक्षा फील होती है।
इसे मानवीय स्वभाव कह सकते हैं, पर ऐसा नहीं है कि यह हमेशा
के लिए हो। थोडे वक्त के बाद उतर जाता है। एक बार हंस संपादक राजेंद्र यादव जी से
मैंने पूछा था कि आप जिन लोगों से इतना पीछे पड़कर लिखवाते हैं, जब वे आपसे अच्छा लिख लेते हैं तब आपको जलन नहीं होती है। वे बहुत देर के
बाद सोचकर बोले कि ईर्ष्या तो नहीं होती है, हां असुरक्षा
महसूस होती है। फिर भी हम उससे कहते है कि इससे भी अच्छा लिखो और अपने फंख फैलाकर
उड़ जाओ। तो राजेंद्र जी की यह बात भी कहीं न कहीं मेरे दिमाग में बनी रही।
यह फिल्म अब तक कहां-कहां प्रदर्शित हो चुकी है।
यह फिल्म इंडियन पैनोरमा फीचर फिल्म सेक्शन के तहत 51वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा में और अभी हाल ही में 16वें थ्रिसुर (आईएफएफटी) गई थी। आगे यह कोलंबो में प्रदर्शित होगी। यह फेस्टिवल केवल महिला फिल्म निर्देशकों की फिल्मों पर होता है। साथ ही नेशनल अवार्ड के लिए भी भेज रखा है।
आपने अभी तक काफी शार्ट मूवी बनाई है, यह आपकी पहली
फीचर फिल्म है। इन दोनों माध्यमों को लेकर आपकी राय क्या है।
एक छोटी फिल्म बनाने में भी उतनी मेहनत है जितनी एक बड़ी फिल्म बनाने में।
बल्कि छोटे स्पेस में अपनी बात कहना ज्यादा मुश्किल होता है। लांग स्टोरी और शार्ट
स्टोरी में जो अंतर होता है, वही फिल्म निर्माण में होता है।
इस फील्ड में महिला-पुरुष निर्देशक के फिल्मांकन की संवेदनशीलता में कोई
अंतर पाती हैं।
नहीं ऐसा नहीं है। पुरुष निर्देशक भी पूरी संवेदनशीलता से अपना काम करते हैं।
आगे आप किन चीजों पर काम करने जा रही है।
-विचार तो कई चल रहे है। सोच रही हूं कि पहले कहानी लिखूं, बहुत दिन हो गए हैं कहानी लिखे। फिल्मों के बारे में फिर देखते हैं।
2 टिप्पणियां:
बेहतरीन समिक्षा 🙏
हमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏
Thank you for the detailed film review.
Do you happen to know where I can watch this film outside India ?
Is it available on DVD or on streaming platforms ?
Thank you for any information you might have.
DKM Kartha
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